पर्सनल डायरी शायरी 04.04.2023
मास्टर मुखत्यार सिंह अलवर राजस्थान
वो वफादार हो के भी गद्दार हैं ।
हम गद्दार हो के भी वफादार हैं ।।
कुछ लोग चापलूसी करके अपने मालिक की नजरों में वफादार
बने रहते हैं और कुछ लोग अपने मालिक की नजरों में धूल झोंक कर भी वफादार बने रहते हैं । कुछ लोग गुलामी को सह कर और मजबूरन अपनी जुबान बंद कर के भी वफादार बने रहते हैं ।
कुछ लोग मालिक की कमियों और कड़वी सच्चाइयों को उनके सामने खुले आम कह के विरोध करते हुए गद्दार का टैग लगवा
कर भी अपना काम ईमानदारी से करते हुए अपनी काबिलियत के दम पर गद्दारों का चोला पहने हुए भी वफादार होते हैं ।
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