Sunday, May 12, 2024

12 May 2024 Personal Diary Shayari Master Mukhtyar Singh Karnawal Alwar Rajasthan

वो ऊपर से और ऊपर जा रहे है
हम नीचे से और नीचे आ रहे हैं ।।

उनके माधे पर अहंकारी कालिक छा रही है ।
 हमारे माथे पर निरंकारी शक्ति आ रही है ।।

लोग पक्के मकानों को तोड़कर
टावर वाली कोठियाँ बना रहें हैं ।

हम कच्चे कोठों को हटाकर ।
दूर खेत मे तम्बु लगा रहे हैं  ।।

मै जानता हूँ कि मेरी सच्चाई को पढ़कर 
तुम बुरी तरह से हँसोगे ।

लेकिन याद रखना 
आज जितनी बुरी तरह से हँसोगे

कल उतनी ही बुरी तरह से 
किसी नये पचड़े में फँसोगे ।

जब एहसास  हो कि मैं हँसा धा
तो ही फँसा था ।

तब दलालों को लाखों रूपये 
देने के बजाय निरंकार को याद करना ।
हाॅस्पिटल ,थाना हो या पचडा 
सबसे अपने आप को बाहर पाओगे ।।

मास्टर मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान 



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Wednesday, May 1, 2024

01 May 2024 Wednesday Personal Diary Shayari Master Mukhtyar Singh Karnawal Alwar Rajasthan

 01 May 2024 Wednesday 

Personal Diary Shayari Master Mukhtyar Singh Karnawal Alwar Rajasthan 


आज सुबह पिताजी और मैंने जोहड़ में से गुलमोहर की दस दस फुट लम्बी दो मोटी लकड़ी की थम्बियाँ काटी जो मकान के काम में पैड़ा बनाने के काम आयेंगी । उसके बाद मैंने उसी गुलमोहर की शाखाओं की दस दस फुट लम्बी चार खम्बियाँ आरी से काट कर तैयार की जो तम्बु लगाने के काम आयेंगी और साथ में मकान के लिए पैड़ा बनाने के भी काम आयेंगी ।

शाम को 5 बजे मैं और पिताजी सैय्यद वाले मेरे खेत में गये और सैय्यद पीर बाबा के बगल व शरण में पल्लड़ वाला तम्बु लगा दिया । यह तम्बु चलते मकान के कार्य के समय सीमेन्ट रखने व चाय पानी बनाने के काम आयेंगा । और जब तक मकान में दरवाजे नहीं लग जाते तब तक घर का सामान भी ईसी तम्बु में ही रहेगा ।

और वैसे भी मै अपने पिछले एक साल से रहने वाले तम्बु वाले 

जीवन व अपनी औकात को कभी भुलाना नही चाता ।

मैं कल को कितनी भी तरक्की करूँ और चाहे कोठियां 

बनाऊं लेकिन यह तम्बु मुझे हमेशा वाहेगुरु के साथ जोड़े 

रहेगा और पुराने तम्बु की याद दिलाता रहेगा जो मेरे जीवन 

का एक अहम हिस्सा है ।

मेरे पिता जगतार सिंह जीवन में पहली बार पिछले 

एक महीने से नीव व गडढा  खुदाई व अन्य कामों में भरपूर 

सहयोग कर रहे हैं । 

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