Sunday, May 12, 2024

12 May 2024 Personal Diary Shayari Master Mukhtyar Singh Karnawal Alwar Rajasthan

वो ऊपर से और ऊपर जा रहे है
हम नीचे से और नीचे आ रहे हैं ।।

उनके माधे पर अहंकारी कालिक छा रही है ।
 हमारे माथे पर निरंकारी शक्ति आ रही है ।।

लोग पक्के मकानों को तोड़कर
टावर वाली कोठियाँ बना रहें हैं ।

हम कच्चे कोठों को हटाकर ।
दूर खेत मे तम्बु लगा रहे हैं  ।।

मै जानता हूँ कि मेरी सच्चाई को पढ़कर 
तुम बुरी तरह से हँसोगे ।

लेकिन याद रखना 
आज जितनी बुरी तरह से हँसोगे

कल उतनी ही बुरी तरह से 
किसी नये पचड़े में फँसोगे ।

जब एहसास  हो कि मैं हँसा धा
तो ही फँसा था ।

तब दलालों को लाखों रूपये 
देने के बजाय निरंकार को याद करना ।
हाॅस्पिटल ,थाना हो या पचडा 
सबसे अपने आप को बाहर पाओगे ।।

मास्टर मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान 



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