Monday, May 17, 2021

बोलने से पहले हजारों बार सोचें .........मेरी पर्सनल डायरी से एक कहानी

लेखक मुखत्यार सिंह करनावल 

गाँव साँखला  , पोस्ट  बहाला  (M .I.A.)

तहसील  रामगढ़  

जिला अलवर  , राजस्थान

दिनांक  17.05.2021

mail----mukhtyar09081981@gmail.com

मेरी आँखों देखी कहानी..........

 मैं एक राजनीतिक संगठन में पिछले कई सालों से कार्य करता आ रहा हूँ ।

इस संगठन में किशोर से लेकर वयोवृद्ध सभी तरह के लोग थे  ।

हमारे संगठन में एक जोशिला भ़ड़कीला नौजवान भी था ।

 वह आऊट स्पोकन अर्थात मुँहफट भी था । किसी भी बात पर 

बिना सोचे  समझे कुछ भी बोल देना और किसी की भी 

खिल्ली उड़ाने की उसकी आदत थी क्योंकि उसकी परवरिश व 

शिक्षा दिक्षा ऐसे ही माहौल में हुई थी ।

अभी तक उसका जीवन की सच्चाइयों से सामना नहीं हुआ था ।

वह अक्सर संगठन के लोगों पर ही तीखे कमेन्ट्स अर्थात फब्तियाँ

कसता रहता था । ऐसा करने में उसे बड़ा मजा आता था और अपने 

दोस्तों मैं उसकी एक निडर और बेबाक बोलने वाले व मनोरंजन

करने वाले दबंग नौजवान की छाप बनती थी ।

खैर , एक दिन फरवरी 2020 में हमारे संगठन के एक बीमार

 चल रहे अधेड़ उम्र के साथी की अचानक हार्ट अटेक से मौत

 हो गई । 

उसके अंतिम संस्कार के लिए शहर के शमशान घाट में संगठन के लगभग सभी लोग पहूँचे जिसमें वह जोशिला भ़ड़कीला नौजवान अत: मैं भी पहूँचा था ।

कुछ तो दिल से गये थे और कुछ खानापूर्ती करने गये थे ।

जब अंतिम संस्कार हो रहा था तो वह जोशिला भ़ड़कीला नौजवान 

अपने हम उम्र साथियों के बीच हँसी मजाक कर रहा था ।


 धीरे से मैं भी उनके ग्रुप में शामिल हो गया ।

वह नौजवान बोला एक बुढ्ढा तो आ गया और एक साल के अन्दर अन्दर एक और बुढ्ढा भी इसी शमशान में आने वाला है ।

हम तुरन्त समझ गये कि उसका इशारा संगठन के एक वयोवृद नेता की तरफ था । जो कि बिमार व बुजुर्ग होने के बावजूद भी अपने साथी को अंतिम विदाई देने शव यात्रा के साथ आया था । और ठीक सामने बैठे ग्रुप में एक सीट पर बैठकर बातें कर रहा था । और उस नौजवान की इस बात को सुनकर सभी नौजवान साथी खिलखिला के हँसने लग गये । 

मुझे अच्छा तो नहीं लगा लेकिन उस ग्रुप का हिस्सा होने के कारण 

औपचारिकता के लिए मुझे भी हँसना पड़ा ।

खैर वह अंतिम संस्कार तो हो गया । 

और सभी साथी अपने अपने घर चले गये । 

अभी मात्र आठ महीने ही हुए थे कि दिसंबर 2020 की बात है एक बार फिर से हम सभी साथी उसी शमशान घाट में खड़े थे । मैं भी पहले की तरह पहूँच गया था । और संगठन का वह वयोवृद्ध नेता भी शमशान में पहूँच चुका था । और सामने जो शव जल रहा था वह भी एक अधेड़ उम्र के वृद्ध व्यक्ति का ही था । बातें सारी वही थी जो उस नौजवान ने आठ महीने पहले इसी शमशान घाट में कही थी ।

लेकिन फर्क सिर्फ इतना सा था कि इस बार सामने जलता हुआ शव उस वयोवृद्ध नेता का नहीं जिसके बारे में उसने बोला था बल्कि उस नौजवान के परम पूज्य पिताजी का था ।

और वह नौजवान जो पिछली शव यात्रा में हँसी मजाक उड़ा रहा था 

इस बार वह रोते हुए अपना मुँड्डन करवा रहा था और जिस बुढ्ढे नेता    के बारे मे उसने भविष्यवाणी कीं थी वह इस बार भी उसी सीट पर बैठकर लोगों को बातें सुना रहा था ।

मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान 

17.05.201  

 


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