Monday, May 10, 2021

संगदिल , हरजाई या पत्थर दिल । बेर्रहम , बेवफा या कातिल .........

संगदिल , हरजाई या पत्थर दिल 
बेर्रहम , बेवफा या कातिल 
कौनसा नाम दिया है तुम्हें ओ जालिम 
ये ख्वाहिश भी हो जायेगी पूरी तुम्हारी 
बेजान खुली आँखों के सामने तुम्हारी 
मेरे खूँनी खँजर पर पढ़ लेना 
वो खूँनी नाम तुम्हारा लिखा होगा.....

दोस्तों यह शेर मैंने मेरी बेवफा बीवी को नजर में 
रख के 06.05.2021 लिखा है जिसने मुझे 
बरबाद कर दिया । 
खुदा दुश्मन को भी ऐसी बीवी ना दे ।
ये तो मेरी अच्छी तालीम थीं जो मुझे बचा गई ।
वर्ना कोई और होता या तो मर गया होता 
या शराबी बन गया होता............

दोस्तों बताना कमेन्ट कर के । 
मेरी पर्सनल डायरी के पन्ने से 
ये शेर कैसे रहा.......

आपका यार शायर मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान 
Mail----mukhtyar09081981@gmail.com
10.05.2021

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