ब्याँ करूँगा मैं तेरे बयान इस जमाने को
जो तूने भरी अदालत में दिये थे
मुझे सूली पर चढ़ानें को......
खुद आ गया था वो जमीन पर
काले लिबासों के एक बुतखाने में
दुनिया चाहे जो इल्जाम दे मुखत्यार
वो आया था बस...........
मेरी रिहाई का फरमान सुनाने को......
जिस दिन जज ने मेरी रिहाई का फरमान सुनाया था
उस दिन उसके अंदर मुझे खुदा नजर आया था ।
दोस्तों जब मेरी धर्म पत्नी ने मेरे व मेरे माता-पिता के खिलाफ़
संगीन जुर्म IPC के तहत दफा 458 A , 452 , 323 ,504 ,506 के झूँठे मुकदमे लगा कर मेरे खिलाफ न्यायालय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट / सिविल जज (सी.डी.) काशीपुर , जिला ऊधमसिंह नगर
(उत्तराखंड) के सामने और मेरे सामने भरी अदालत में जो फौजदारी मामले में ब्यान दर्ज करवाये थे यह उस परिस्थिति पर मैंने खुद ने
ये शेर लिखें हैं । जिसमें हमें पहले हैवान के व फिर भगवान के
दर्शन होते हैं ।
हालांकि जज ने बाद में मुझे बाइज्ज़त बरी कर दिया था ।
लेकिन वो दर्द अभी भी है और हमेशा रहेगा ।
जिस दिन जज ने मेरी रिहाई का फरमान सुनाया था ।
उस दिन उसके अंदर मुझे , खुदा नजर आया था ।।
इसे दिल से कागज पर मैंने 03.05.2021 को उतारा था ।
दोस्तों ये दास्ताँ कैसी लगी कमेन्ट्स कर के जरूर बताईयेगा ।
( आपका यार शायर मुखत्यार अलवर वाला )
Mail----mukhtyar09081981@gmail.com
10.05.2021
No comments:
Post a Comment