शायर मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान
मेरा वश चले तो
तुम्हें मैं आजाद करवा लूँ
इन गद्दारों की गिरफ्त से
लेकिन डरता हूँ कि
इन गद्दारों का खाते-खाते
कहीं तुम्हारे ख्यालात भी तो
इन गद्दारों जैसे नहीं हो गये........
खैर , ये रिस्क भी
ले लूँगा मैं इक तुम्हारी खातिर
लेकिन क्या करूँ मैं मुखत्यार
मेरा वश भी तो नहीं चलता..........24.05.2021
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