Monday, May 24, 2021

अपनों के बिछड़ने पर मजबूर तड़फ्ते दिलों की शायरी..........

 शायर मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान 


मेरा वश चले तो 

तुम्हें मैं आजाद करवा लूँ 

इन गद्दारों की गिरफ्त से 

लेकिन डरता हूँ कि 

इन गद्दारों का खाते-खाते 

कहीं तुम्हारे ख्यालात भी तो

इन गद्दारों जैसे नहीं हो गये........ 

खैर , ये रिस्क भी 

ले लूँगा मैं इक तुम्हारी खातिर 

लेकिन क्या करूँ मैं मुखत्यार 

मेरा वश भी तो नहीं चलता..........24.05.2021



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