Tuesday, May 25, 2021

दो बार ओलम्पिक विजेता पहलवान सुशील कुमार अच्छी शिक्षा ना होने के कारण हत्या व अपहरण के मामले में हिरासत में


लेखक मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान 

की पर्सनल डायरी से......23.05.2021


डबल ओलंपिक चैंपियन भारतीय पहलवान सुशील कुमार आज 23.05.2021 को एक उभरते हुए पहलवान मात्र 23 वर्ष के सागर धनकड के अपहरण व हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस की हिरासत में हैं ।

और इसके पीछे मुख्य कारण एक अच्छी प्राथमिक , नैतिक ,

साहित्यिक , ऐतिहासिक और सामाजिक शिक्षा ना होना  है ।


बिना साहित्यिक नैतिक ऐतिहासिक और सामाजिक शिक्षा के भी लोग किसी विशेष क्षेत्र की डिग्री लेकर कामयाब तो हो सकते हैं लेकिन ताउम्र उसी कामयाबी के सम्मान को बरकरार रखते हुए इस दुनिया को अलविदा कहे यह संभव नहीं है ऐसे लोग अक्सर गलत लोगों के साथ संगठित होकर या तो बीच में ही मर जाते हैं या किसी को मार देते हैं या फस जाते हैं और या आत्महत्या कर लेते हैं या फिर जेल में सिड़ते हैं  । वैसे तो ऐसे लोगों के पतन के उदाहरणों से इतिहास भरा पड़ा है लेकिन यहां पर मैं सिर्फ तीन लोगों का जिक्र करना चाहूंगा जिनके पास अच्छी शिक्षा नहीं थी । 

पहले स्थान पर हाल ही में अर्श से फर्श पर आए डबल ओलंपिक पदक विजेता भारतीय पहलवान सुशील कुमार जो कि 4 मई सन 2021 को एक गुण्डा गैंग के साथ मिलकर एक उभरते हुए पहलवान  सागर धनकड़ के अपहरण व हत्या के मामले में 23 मई 2021 को दिल्ली पुलिस की हिरासत में आया । 

दूसरे स्थान पर मैं 1993 के मुंबई में सीरियल ब्लास्ट के बाद मुंबई पुलिस की गिरफ्त में आए एक बहुत बड़े रईसजादे वह फिल्मी हीरो संजय दत्त को रखना चाहूंगा जिनके घर से एके-47 बरामद हुई और तब अंडरवर्ल्ड में उनके संबंध तब पाए गए अतः शुरू में उन पर टाडा अर्थात आतंकवादी मुकदमा लगा और बाद में वह सिर्फ आर्म्स एक्ट तक सीमित रह गया ।

 तीसरे स्थान पर मैं एक और उभरते हुए फिल्म स्टार सुशांत सिंह राजपूत को रखूंगा जिन्होंने 14 जून 2020 को अपने घर पर गले में फंदा डालकर आत्महत्या कर ली अतः बाद में पाया गया कि वह ड्रग्स लेने का आदी था ।

सुशील कुमार ट्रायल का सामना करने के लिए तैयार है संजय दत्त ट्रायल का सामना करके वह सजा पूरी करके घर आ चुके हैं और सुशांत सिंह राजपूत इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं  । 

इन तीनों की यदि हम शिक्षा दीक्षा के रिकॉर्ड को देखें तो पाते हैं किसी की भी ना तो प्राथमिक शिक्षा नैतिकता से भरी हुई थी और ना ही उच्च शिक्षा में इनके पास कोई नैतिक , साहित्यिक , सामाजिक ऐतिहासिक शिक्षा थी  ।

आइए इन तीनों की शिक्षा को खंगालते हैं -------

(1)  एक सुशील कुमार 

पोस्ट ग्रेजुएशन फ्रॉम नोएडा एमपी अर्थात मास्टर ऑफ फिजिकल एजुकेशन अर्थात शारीरिक शिक्षा मारधाड़ में डिग्री ।

(2)  संजय दत्त

 स्कूल-- द लॉरेंस स्कूल सनावर नियर कसौली हिमाचल प्रदेश 

कॉलेज यूनिवर्सिटी---- कोई जानकारी नहीं 

एजुकेशनल क्वालीफिकेशन ---कोई जानकारी नहीं 

(3)  सुशांत सिंह राजपूत 

 इंजीनियरिंग कोर्स को चौथे साल में छोड़ा

मशीनीकरण की डिग्री और वह भी अधूरी

इन तीनों में से किसी के पास भी कोई नैतिक साहित्यिक सामाजिक या इतिहास की अच्छी शिक्षा नहीं थी तो बारी बारी से ये सफलता या दौलत के गरुर से यह अपने सफल करियर में भटक कर गलत रास्तों पर चले गए और अपने अंजाम को पहुंचे  । 

आप हैरान होंगे कि मैं इनमें सुशांत सिंह राजपूत जैसे मासूम को क्यों घसीट रहा हूं इसका जवाब यह है कि आत्महत्या करना तो सबसे बड़ी मूर्खता व कायरता है कारण जो भी रहे हो ।

यदि आत्महत्या करने वालों की शिक्षा मजबूत हो तो चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियां क्यों ना हो आदमी उनका डटकर मुकाबला करता है आत्महत्या नहीं करता जैसा कि कहा गया है-----

वह कायर हैं जो हार गए 

नर नाहर बाजी मार गए 

हिम्मत वाले इन तूफानों से 

टकराकर उस पार गए

 हजारों उदाहरण और भी हैं लेकिन हाल ही की घटना होने के कारण जिक्र सुशांत सिंह राजपूत का किया है  । 

यदि इन तीनों शिक्षा सही होती तो यह हमेशा ही अरस पर रहते और फर्श पर आकर उन युवाओं को निराश नहीं करते जिनके यह रोल मॉडल थे और इनका यह हाल नहीं होता ।

हालांकि संजय दत्त ने बाद में अपने आपको काफी संभाला है क्योंकि घोर परिस्थितियो से गुजरने के बाद फिर इंसान को नैतिक या साहित्यिक शिक्षा की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि घोर और विकट परिस्थितियां और किये का पछतावा भी अपने आप एक अच्छे स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी या अध्यापकों का काम करता है । और उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में पहलवान सुशील कुमार में भी सुधार आयेगा ।

लेकिन बात यह है कि यदि पहले से ही इन्हें अच्छी शिक्षा दिलाई होती तो बाद में इन्हें यूँ नहीं सीखना पड़ता इसलिए अच्छी नैतिकता से भरी हुई या साहित्यिक शिक्षा और सामाजिक शिक्षा ही एक आदमी को इंसान बनाती है बाकी आप खुद समझदार हैं  । 

मैं यहां गालिब के एक शेर से और अंग्रेजी की एक कहावत

से अपनी बातों को विराम देता हूं........


       बस कि दुश्वार हैं हर काम का आसाँ होना । 

       आदमी को भी मयस्सर नहीं इसाँ होना ।।

Education means to bring the best out of a child.



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