29 August 2024 Thursday
Personal Diary Shayari
Master Mukhtyar Singh Karnawal
Alwar Rajasthan
विक्रमी सम्वत 2081 भादरो वदी 11
नानकशाही सम्वत भादरू 14
साका सम्वत 1946
हिजरी सम्वत 1446
मेरा जीवन एक खुली किताब है
जिसे कोई भी पढ़ सकता है ।
सुबह ===
सुबह 5 बजे उठा ।
आज सुबह खबर ऐसी
कलेजा चीरने वाली मिली
कि जख्म ताउम्र ना भर पायेंगे ।
चोट इतनी गहरी लगीं हैं
कि लगी वाले ही समझ पायेंगे ।
दोपहर को भी यही
खबरों का हाल था ।
कच्ची खबर पक्की हो गयी
और चिरा हुआ कलेजा
बाहर निकल गया ।
आस पास ना कोई दोस्त
ना रिश्तेदार धा ।
हुई शाम तो आई याद पीर पैगम्बरों की ।
गम बाँटने वाला बस वो ही एक सच्चा यार था ।
रात गहरी हुई जख्म और गहरे हुए
मेरा तो बस रो रो के बुरा हाल था ।
या खुदा ये कैसा इम्तिहान था ।
दोपहर को घर गया और माँ की खैर खबर ली ।
दोपहर बाद मकान के साईड वाले दरवाज़े के ऊपर
मिट्टी का एक और औसार और किया ।
शाम
शाभ को गुरुद्वारे गया ।
मौसम
आज मौसम पूरी तरह से साफ था ।
रात को ब्लॉग पर डायरी शायरी लिखी ।
No comments:
Post a Comment