Personal Diary Shayari
Master Mukhtyar Singh Karnawal
Alwar Rajasthan
28 August 2024 Wednesday
विक्रमी सम्वत 2081 भादरो वदी 10
नानकशाही सम्वत भादरू 13
साका सम्वत 1946
हिजरी सम्वत 1446
I am an opened book and anybody can read me.
Not only you are reading me but you are getting
good vocabulary in English , Hindi , Urdu and
Punjabi. While reading me you are learning
English too.
मै एक खुली किताब हूँ और मुझे कोई भी पढ़ सकता है ।
ना सिर्फ आप मुझे पढ़ रहे हैं बल्कि अंग्रेजी , हिन्दी ,
ऊर्दू और पंजाबी की अच्छी शब्दावली भी सीख रहे है ।
मुझे पढ़ते वक्त आप अंग्रेजी भी सीख रहे है ।
शायरी
ना कहूँ अब की ना कहूँ तब की ।
अगर ना होते गुरू गोविन्द सिंह
तो सुन्नत होती सब की ।।
मोहब्बत मैं नहीं है फर्क जीने और मरने का ।
उसी को देखकर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले ।।
( मिर्ज़ा ग़ालिब )
Weather = It's a clear today
आज मौसम साफ है ।
Daily Routine
सुबह
आज सुबह 5 बजे उठा और काम पर गया ।
दोपहर = दोपहर 2 से 4 बजे तक दोपहर की नींद ली ।
शाम = शाम को 5 से 6:30 तक मिट्टी का गारा बनाकर
साईड वाले दरवाज़े के शुरू के एक पतले औसार को
चौड़ा किया ।
रात = रात को ब्लॉग पर पर्सनल डायरी शायरी लिखी
व 12 बजे तक फोन पर व्यस्त रहा ।
रिश्ते नाते
आज एक करीबी दोस्त हाॅस्पिटल मे भर्ती हुए ।
वाहेगुरु उन्हें शीघ्रताशीघ्र तदरूस्त करे ।
जिससे कि पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़े ।
( आज का गीत )
अल्लाह खैर करे मेरे सज्जणा दी
मैंनू सुफणे बाहणे आऊँन्दे ने
मैं दीद ओंहन्दी नूँ तरस रही
ना सज्जण फेरियाँ पाऊँन्दे ने ।
अल्लाह खैर करे मेरे सज्जणा दी
मैंनू सुफणें बाहणे आऊँन्दे ने ।।
( रंजीत मनी )
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Thanks
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