Wednesday, August 28, 2024

28 August 2024 Personal Diary Shayari Master Mukhtyar Singh Karnawal Alwar Rajasthan

            Personal Diary Shayari 

Master Mukhtyar Singh Karnawal 

Alwar Rajasthan

 

28 August 2024 Wednesday


विक्रमी सम्वत 2081 भादरो वदी 10


नानकशाही सम्वत भादरू 13

साका सम्वत 1946

हिजरी सम्वत 1446


I am an opened book and anybody can read me.

Not only you are reading me but you are getting 

good vocabulary in English  , Hindi  , Urdu and 

Punjabi. While reading me you are learning 

English too.

मै एक खुली किताब हूँ और मुझे कोई भी पढ़ सकता है ।

ना सिर्फ आप मुझे पढ़ रहे हैं बल्कि अंग्रेजी  , हिन्दी , 

 ऊर्दू  और पंजाबी की अच्छी शब्दावली भी सीख रहे है ।

मुझे पढ़ते वक्त आप अंग्रेजी भी सीख रहे है ।


शायरी 

ना कहूँ अब की ना कहूँ तब की ।

अगर ना होते गुरू गोविन्द सिंह 

तो सुन्नत होती सब की ।।


मोहब्बत मैं नहीं है फर्क जीने और मरने का ।

उसी को देखकर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले ।।

                                   (   मिर्ज़ा ग़ालिब  )


Weather =  It's a clear today 

आज मौसम साफ है । 


Daily Routine 

सुबह 

आज सुबह 5 बजे उठा और काम पर गया ।

दोपहर  = दोपहर 2 से 4 बजे तक दोपहर की नींद ली ।

शाम = शाम को 5 से 6:30 तक मिट्टी का गारा बनाकर 

साईड वाले दरवाज़े के शुरू के एक पतले औसार को 

चौड़ा किया ।


रात  = रात को ब्लॉग पर पर्सनल डायरी शायरी लिखी

व 12 बजे तक फोन पर व्यस्त रहा ।


रिश्ते नाते 

आज एक करीबी दोस्त हाॅस्पिटल मे भर्ती हुए ।

वाहेगुरु उन्हें शीघ्रताशीघ्र तदरूस्त करे ।

जिससे कि पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़े ।


            (   आज का गीत   )

अल्लाह खैर करे मेरे सज्जणा दी 

मैंनू सुफणे बाहणे आऊँन्दे ने 

मैं दीद ओंहन्दी नूँ तरस रही 

ना सज्जण फेरियाँ पाऊँन्दे ने  ।

अल्लाह खैर करे मेरे सज्जणा दी 

मैंनू सुफणें बाहणे आऊँन्दे ने ।।

                     (   रंजीत मनी  )


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Thanks 







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