Saturday, May 8, 2021

बैठा हूँ लिखने कुछ लिख के छोड़ूँगा , लगा हूँ करने कुछ कर के हटूँगा

पर्सनल डायरी से 01.05.2021
मुखत्यार सिंह करनावल s/o जगतार सिंह 
गाँव--साँखला, पोस्ट -- बहाला 
( M.I.A ) तहसील -- रामगढ़  
जिला--अलवर , राजस्थान 
 Blog post date 09.05.2021
E-Mail-----mukhtyar09081981@gmail.com
 
मेरे जीवन की पहली रचना (कविता)  जिसे मैंने अपनी बेवफा पत्नि व आजकल के तानाशाह शासकों को 
मद्देनज़र रख के 01.05.2021 को अपनी डायरी में
लिखा था ।  इससे प्रेरित होकर मैंने और बहुत सारी शायरी अपनी डायरी में लिखी और लिख रहा हूँ । अतः मेरे और  आमजन के दर्द को आप के साथ बाँटने के लिए दोस्त जितेन्द्र वर्मा जी की सलाह से 08.05.2021 को अपना बलाॅग व वेबसाइट बनाई । 
और आज 09.05.2021 यह आपके सामने है । 
आने वाले समय में आपको मेरी डायरी में से मेरे संघर्षों की अनेकों कहानियाँ पढ़ने को मिलेंगी । लिखते या प्रिन्ट करते वक़्त यदि कोई कमी रही हो तो माफी चाहूँगा व कमेन्ट्स कर के जरूर बताईयेगा कि मेरे जीवन की पहली कविता (रचना)  आपको कैसी लगी ।

बैठा हूँ लिखने कुछ लिख के छोड़ूँगा 
लगा हूँ करने कुछ कर के हटूँगा 
हल्के में ना ले लेना मुझको 
लाखों को कायल बनाया है अपना 
तुझे भी दिवाना बना के छोड़ूँगा......

दे ना ताना मुझे मेरी गरीबी का 
यूँ झौंपड़ी में रहता हूँ तो क्या हुआ 
जो चढ़ गया जुनूँन मुझे मेरी खुद्दारी का 
बड़े बड़े महलों को नहीं बख्शा 
तुम्हारे इस छोटे से मकान को भी 
हिला के छोड़ूँगा......

होगी तूँ कोई हूर परी 
यूँ गरूर ना कर ऊपर उड़ने का 
बड़े बड़े सितारों को गिरते देखा है मैंने 
जो लग गया निशाना मेरी कलम का
तुझे भी जमीँ पर गिरा के छोड़ूँगा......

गद्दार हो जा तैयार 
अब तूफान आने वाला है 
देखें होंगे तूने लाखों सुनामी 
अब मेरे गुस्से का सैलाब आने वाला है 
ना डूबने दूँगा ना तैरने दूँगा 
सारे जख्मों का हिसाब ले के छोड़ूँगा......

सुना है तूँ कभी हारा नहीं 
हार का चखा तूने अभी नजारा नहीं 
मत छेड़ अलवर में सोये यार मुखत्यार को 
जो जाग गया एक दिन 
तुझे भी नैपोलियन जैसी हार 
दिल्ली में हरा छोड़ूँगा.....

बैठा हूँ लिखने कुछ लिख के छोड़ूँगा.......
लगा हूँ करने कुछ कर के हटूँगा 
हल्के में ना ले लेना मुझको
लाखों को कायल बनाया है अपना 
तुझे भी दिवाना बना के छोड़ूँगा....

मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान  



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