Sunday, May 23, 2021

अच्छाई और बुराई साथ साथ चलती है और वो खुद मिंट जायेगा जो इस प्राकृतिक नियम को मिटाने की कोशिश करेगा.........

लेखक मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान 

Mail----mukhtyar09081981@gmail.com

Date 24.05.2021 मेरी पर्सनल डायरी से  


अच्छाई और बुराई साथ साथ चलती है यह एक प्राकृतिक नियम है ।

एक सोच के लोग चाहते हैं कि वो दूसरी सोच को समाप्त कर दें ।

वो उस समय के लोगों को तो मिटा सकते हैं लेकिन जब वो नहीं रहेंगे तो आने वाली नई पीढ़ी फिर इसी तरह से अच्छी और बुरी दोनों प्रकार की पैदा होगी होगी ।

क्या रावण , कंस , कौरवों व ओसामा बिन लादेन और अनेक बलात्कारियों के एनकाउन्टर व फाँसी होने पर बुराई समाप्त हो गयी ?

क्या ईसा मसीह , मार्टिन लूथर , और महात्मा गाँधी को मारने से 

अच्छाई समाप्त हो गई  ?


वैसे तो इस दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं क्योंकि हर इंसान अपने आप में अद्वितीय है लेकिन मुख्य रूप से इस दुनिया में सिर्फ दो ही प्रकार के लोग होते हैं अच्छे और बुरे यह एक प्राकृतिक नियम है और मनुष्य प्राकृतिक नियम को ठीक उसी प्रकार से नहीं बदल सकता जिस तरह से दिन और रात होने के नियम को ।

यदि कोई इसे बदलना भी चाहे तो भी उसके प्रयास व्यर्थ हैं ।  हम अच्छे लोग उन्हें बदल नहीं सकते लेकिन उनसे दूर रहने व बचने के तरीके ढूंढ सकते हैं सदियों से अच्छे और बुरे लोग इस दुनिया में रहे हैं अब भी हैं और आने वाले समय में भी नई पीढ़ी इसी प्रकार की होगी यदि कोई प्रकृति के किसी भी नियम में दखलअंदाजी करके उसे बदलना चाहे और प्रकृति को चुनौती देना चाहे तो बेकार में ही अपना समय बर्बाद करेगा । बुराई मिट नहीं सकती ठीक उसी प्रकार जिस तरह से अच्छाई नहीं मिट सकती तो फिर सवाल यह है कि हम इस दोनों तरह के समाज में कैसे जीयें  ?  बहुत ही आसान है अच्छे लोगों को अपनी तरह के अच्छे व्यक्तियों से संबंध बढ़ाकर अपने चारों और अपनी सोच का एक सामाजिक व दैनिक जीवन के लिए संगठन बनाना होगा आते जैसे ही पता चले कि कोई व्यक्ति हमारी कैटेगरी का नहीं है जल्दी ही उससे किनारा करना होगा यदि गलती से आप विपरीत सोच के व्यक्ति से जुड़ गए तो वह तब तक आपके साथ है जब तक आप उसकी हां में हां मिलाते रहोगे जिस दिन आपने उसकी हां में हां नहीं मिलाई उसी दिन वह आप पर नाराज वह हावी हो जाएगा अतः आप को अपना दुश्मन समझने लगेगा जो इंसानियत का सगा नहीं वह आप का सगा भी नहीं हो सकता चाहे कितना भी आपका घनिष्ठ संबंधी ही क्यों ना हो और सामाजिक संबंधों में विवादों का यही एक मुख्य कारण है तो फिर हमें स्वयं अच्छे लोगों को सर्च करना होगा वह उनसे अपनी घनिष्ठता बढ़ानी होगी तो ही हमारा जीवन सरल हो पाएगा यह ग्रुप आसानी से बन जाएगा क्योंकि "उसे भी वही तलाश है जो आपकी प्यास है" ठीक इसी प्रकार से बुरे लोग भी अपना इस तरह का एक ग्रुप बना कर रखते हैं जिसे हम "चोर चोर मौसेरे भाई" वाली कहावत में कह सकते हैं जिस प्रकार बुरे लोग अच्छे लोगों में सेंध लगाने की कोशिश में रहते हैं ठीक उसी प्रकार हम भी अर्थात प्रशासन भी बुरे लोगों के ग्रुप में सेंध लगाकर अतः सजा आदि के माध्यम से उन्हें नियंत्रित कर सकता है लेकिन ना ही उन्हें समाप्त कर सकता है और ना ही उन्हें बदल सकता है क्योंकि यह बुरा स्वभाव उनका प्रकृति की देन है  । जिस तरह से आपका अच्छा स्वभाव भी एक प्रकृति की ही देन है एक बार फिर हम बुरे लोगों से किनारा कर के एवं अच्छे लोगों से जुड़ कर अपने जीवन को सरल व उन्नति पूर्ण बना सकते हैं अच्छाई और बुराई समाज के दो हिस्से हैं अतः यह एक प्राकृतिक नियम है जिसे मिटाया नहीं जा सकता । 

लेकिन समाज के कुछ पढ़े लिखे लोग समाज से बुराई को जड़ 

से खत्म करने के उपदेश देते देते व प्रयास करते करते अपने 

जीवन का कीमती समय बर्बाद कर देते हैं ।



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