लेखक
मुखत्यार सिंह करनावल
M.I.A अलवर राजस्थान
Date..15.10.2021
Happy Dashahara
दोस्तों आज दशहरे जैसे बुराई पर अच्छाई की विजय के पावन
त्यौहार पर सुबह तड़के 3:30 बजे दिल्ली व हरियाणा के
सिंघु बाॅर्डर पर बैठे आन्दोलन कारी किसानों के बीच प॔जाब
के निह॔ग सिंहो द्वारा एक दलित तरनतारन के निवासी की
बड़ी बेहरहमी से तालिबानी तरीके से हत्या कर दी गयी ।
उसका एक हाथ व एक पैर काट के व फिर उसे
तड़फा तड़फा के मारा गया । और उसको घसीटकर
पास के ही एक बैरिकैट्स पर लटका दिया गया ।
मरने से पहले उसकी एक विडियो भी बनाई गई
जिसमें वह तड़फा तड़फा से काटने की बजाय गला
काट कर एक बार में ही मारने की भीख माँग रहा है ।
दोस्तों यदि यही सिक्ख धर्म है तो मैं ऐसा सिक्ख नहीं हूँ ।
बड़ी बड़ी दाढ़ी मूँछ रखने से और सिर्फ अमृत छकने से
ही कोई सिक्ख नहीं बन जाता ।
आदमी मोना अर्थात कटे हुए बालों वाला भी सच्चा सिक्ख
बन सकता है ।
सिक्ख धर्म के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी की
शिक्षाओं में हिंसा का कोई स्थान नहीं है ।
लाखों मोने लोग गुरु नानक देव जी के शिष्य थे ।
और आज भी करोड़ों मोने लोग गुरु नानक देव जी की
शिक्षाओं को सुनने गुरुद्वारे जाते हैं और करोड़ों रुपयों
का लंगर में दान भी करते हैं ।
जब ये लोग कोई नया गुरुद्वारा बनाते हैं तो लाखों अन्य
धर्म के मोने लोगों के घरों में चन्दा माँगने के लिए डोलते
हैं ।
व्यापारियों और राजनेताओं से मोटी रकम लाते हैं ।
गुरद्वारे उन सब की सेवा से चलता है ऐसे दाढ़ी मूछ
बढ़ा के किसी गरीब की हत्या करने वालों से नहीं ।
ये लोग सिक्ख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह
जी के बनाये हुए खालसा पंथ का दुरुपयोग कर
रहे हैं ।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की साजना मुगलों
के अत्याचार के खिलाफ की थी ना कि किसी गरीब
और दलित की हत्या करने के लिए......
शेष भाग जारी रहेगा.......
मुखत्यार सिंह करनावल
15.10.2021
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