Wednesday, March 23, 2022

मार्च 2022 मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान विचार

 मेरे विचार मार्च 2022 

लेखक -- मुखत्यार सिंह करनावल M.I.A अलवर  , राजस्थान 

टाईट्ल  = फंक्शन टैन्शन

 

☆☆☆ बात विडियो बनवाने और भाषण देने की नहीं है ।

ऐसे भाषण तो मैं आज से बीस साल पहले से ही देता आ रहा हूँ 

जब स्मार्ट फोन होते ही नहीं थे । हमारे हजारों अनमोल भाषण 

बिना विडियो के ही चले थे जो आज भी लोगों के 

दिलों में अमर हैं । और आजकल तो हमें फेसबुक  , यू टयूब 

पर लाईव बोलने और गूगल पर ब्लॉग लिखने से ही फुर्सत 

नहीं मिलती । कयोंकि मेरे दो यू टयूब चैनल व दो ब्लॉग्स और 

एक मेरा फेस बुक पर्सनल अकाऊन्ट और एक फेसबुक ग्रुप और 

एक मेरा फेसबुक पेज भी है । 

हाँ यह सत्य है कि जो खुशी जनता के सामने खड़े 

होकर बोलने से  मिलती है वो मोबाईल के सामने बैठ कर 

बोलने से नहीं मिलती ।  

लेकिन सिर्फ़ बोलने वालों को ही क्योंकि ना बोलने

वालों की तो खड़े होते ही टाँगें हैं हिलती ।

आज ज्ञान सिंह जी के अलावा  मेरे साथी रतन और रामचरन जी

 ने भी बहुत कुछ बोला जिससे मुझे बहुत अच्छा लगा ।

और साथी कॄष्ण और राकेश जी ने फंक्शन की सारी  व्यवस्था 

करने में अहम् भूमिका निभाई जो हमारे बस का 

काम नहीं था ।

  

इसके अलावा मै मेरे चार पर्सनल वाॅट्स एप ग्रुप को भी 

चलाता हूँ जिनका एडमिन भी मैं ही हूँ ।

टविटर और इन्सटाग्राम के लिए वक्त ही कहाँ मिलता है  ?

बस अकाऊंट बना कर रखे हुए हैं जिनके कभी-कभी 

दर्शन कर लेते हैं ।

इतना सब ताम- झाम इसलिए कि वक़्त अब समाज से कुछ 

लेने का नहीं बल्कि समाज को कुछ देने का है ।

 जो कुछ लेना था ले चुके ।

बात दरअसल अनुशासन की है यदि एक बच्चा 

अनुशासन को तोड़े तो किसी हद तक चलता है 

परन्तु यदि समाज के जिम्मेदार  लोग ही अनुशासन को तोड़े तो 

ये गवारा नहीं । 

और वो भी तब जब किन्हीं गंभीर मुद्दों पर चर्चा चल रही हो ।


कभी-कभी समाज को कुछ सबक प्रैक्टिकल करके दिये 

जाते हैं जो हमेशा उन्हें याद रहते हैं  जिससे  भविष्य में वो 

अनुशासन व दुसरे लोगों के मान सम्मान का हमेशा 

ख्याल रखते हैं  । 

प्रैक्टिकल का क्या महत्व है इसे एक साइन्स 

या बायो का टीचर बेहतर समझ सकता है ।


आप मुझे बुरा कहो इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन 

यदि किसी सौ लोगों में से किसी एक ने भी कुछ  सीख  लिया 

तो समझो मेरा मकसद पूरा हो गया ।

खैर ये महफिले अब तुम्हारी ही रहेंगी क्योंकि हम तो वैसे भी

30.03 2022 के बाद भूत काल हो जाएँगे ।

कहा सुना माफ

आपका मीठा कड़वा साथी

मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान 

तारीख  23.03.2022

पढ़ने के लिए दिल से 

शुक्रिया 


 




Tuesday, March 22, 2022

होली

 होली 

लेखक - मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान 

तारीख  = 16.03.2022


होली एक हिन्दुओं का त्यौहार है जिसमें लोग गिले शिकवे भुला

 कर एक दुसरे पर रंग व गुलाल लगाते हैं । लेकिन 80% लोग

 अपनी होली शराब और मीट से ही मनाते हैं । मुर्गा बहुत ही महंगे

 रेट पर मिलता है और बकरे का तो नाम ही मत लेना । शराब ठेकों

 पर लगभग खत्म हो जाती है ।  जिस हिंदू मजदूर के पास इसके

 लिए रुपये खर्चा नहीं होता उसके लिए यह एक मातम का सा दिन

 होता है क्योंकि पड़ोसी के घर से खुशबू आ रही होती है ।

 ग्रामीण क्षेत्रों के लोग एवं आदिवासी जातियों का होली मनाने का

 एक अलग ही तरीका है । वो एक दूसरे को रंग लगाते लगाते

 नाचने लग जाते हैं और फिर गारे या गोबर की भरी बाल्टी एक

 दूसरे पर फेंकने लग जाते हैं  । किसी को कीचड़ के गड्ढे में  धक्का

 दे दिया जाता है  । महिलाओं के साथ खुलेआम छेड़छाड़ करने

 का यही एक सुनहरा मौका होता है  । कई युवाओं के प्यार का

 इजहार इसी मौके पर होता है  । आदिवासी सोच के लोग अपना

 आपा इस हद तक खो देते हैं कि एक दूसरे के कपड़े फाड़ कर

 एक दूसरे को नंगा करने लग जाते हैं ।  यह होली उत्सव की एक

 चरम सीमा होती है क्योंकि इसके बाद रौणा अर्थात शोर-शराबा

 शुरु हो जाता है ।

 और लोग फिर या तो नहा धोकर या फिर बिना नहाए धोए खाट

 पर पड़ जाते हैं । और यदि आप इसे हिंदुओं का एक पागल

 त्यौहार कहे तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ।

धन्यवाद

लेखक 

मुखत्यार सिंह करनावल M.I.A अलवर राजस्थान ।

तारीख  = 16.03.2022


Holi


Author - Mukhtyar Singh Karnawal Alwar Rajasthan


date = 16.03.2022




Holi is a Hindu festival in which people forget their grievances.


 Taxes apply color and gulal on each other. but 80% of people


 Celebrate your Holi with alcohol and meat only. cock is very expensive


 It is available at the rate and don't take the name of the goat. liquor shops


 But it's almost over. The Hindu laborer who had


 It doesn't cost money for him, it's a mourning day


 It happens because the smell is coming from the neighbor's house.


 People of rural areas and tribal castes celebrate Holi


 There is a different way. they paint each other


 start dancing and then a bucket full of cow dung


 Throwing it at the other. push someone into a pit of mud


 is given. openly molesting women


 This is a golden opportunity. of the love of many young people


 The celebration takes place on this occasion. people of tribal thinking


 lose their temper to such an extent that by tearing each other's clothes


 They start stripping each other. This is one of the Holi festival


 There is an extreme limit because after this Rauna means noisy noise.


 gets started.


 And people then either after taking a bath or without washing the cot.


 But they fall. And if you call it a madman of Hindus


 It will not be an exaggeration if it is called a festival.


Thank you


Author


Mukhtyar Singh Karnawal M.I.A Alwar Rajasthan.


date = 16.03.2022

Wednesday, March 16, 2022

मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान की जीवनी Autobiography

 लेखक 

मुखत्यार सिंह करनावल अलवर राजस्थान 

तारीख = 17.03.2022

1...(  मेरे दादाजी व पिताजी और माता के जन्म स्थानों 

               व उनके जीवन के बारे में  )

खुश रहने के ढूँढता हूँ बहाने 

वरना जिन्दगानी है दुखों की कहानी

मेरा जन्म गाँव साँखला  , पोस्ट बहाला (M I.A)

तहसील रामगढ़  जिला  अलवर  राजस्थान में 

करीब  1981 में जनवरी में हुआ था ।

माता जी अक्सर बताती हैं कि लोहड़ी माँगने वाले घर पर नहीं आये थे क्योंकि 21 दिन तक नवजात शिशु के पास ताबीज़ आदि ले जाने का परहेज किया जाता है क्योंकि इससे नवजात शिशु को भी खतरा रहता है और ताबीज़ या कोई मंत्रित धागा भी खराब हो जाता है । अर्थात नवजात बच्चे और ताबीज़ दोनों को नुकसान होता है । लोहड़ी हमेशा 13 जनवरी को ही आती है ।

विक्रमी सम्वत के पौष मास के शुरुआती दिनों में पौष भास की दो या तीन तारीख  मंगलवार को सुबह आठ से दस बजे के बीच  घोर सर्दियों में मेरा जन्म हुआ था । ऐसा नहीं है कि हमारे पिता जी ने हमारी जन्म तिथि नहीं लिखी थी । चारों भाई बहिनों की जन्म,तिथि उन्होंने वार सहित लिखी थी । लेकिन जब मेरे पिताजी पागल हुए थे तो उन्होंने सब जला दी थी । पहली बार मेरे पिताजी तब पागल हुए धे जब मुझसे छोटे भाई मंगल सिंह का जन्म हुआ था । तब से लेकर अब तक वह करीब बीस बार पागल हो चुके हैं । जिनका कई बार ईलाज जयपुर के पागल खाने से व एक बार आगरा के पागलखाने से व अब कई बार अलवर के राजीव गांधी सामान्य चिकित्सालय के मानसिक रोग विभाग से हुआ है । और अभी भी आठ दिन पहले ही  मेरी माता जी उनके मानसिक रोग की दवाई अलवर के सरकारी अस्पताल से लेकर आयी हैं । वो बात अलग है कि अब उन पर काबू पाना पहले की तुलना मे आसान होता है क्योंकि बूढ़े और जवान की ताकत में फर्क होता है ।

खैर  , मेरे दादाजी शंकर सिंह वालिद गुलाब सिंह 1947 में भारत पाकिस्तान विभाजन के दौरान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के जिला साईवाल  Sahiwal जिसे मिन्टकुमरी Montgomery  जिला भी कहते हैं के गाँव 80 -- 79 अर्थात अस्सी -- उन्यासी से आये थे ।  यह गाँव  साईवाल शहर से  मात्र तीन--चार किलोमीटर  दूरी पर ही है । यह बात मैंने तीन साल पहले हमारी व्योवॄद्ध बुआ जी नाड़का गाँव निवासी अमरो कौर पत्नि सरदार लक्ष्मण सिंह से पूछी थी जो की पाकिस्तान में 13 --  14 साल की थी । आज से ढाई साल पहले उनका स्वर्गवास हो चुका है । और यही पता आज 27.03.2022 को अपनी वृद्ध व सगी बुआ करतारो कौर पत्नि स्वर्गवासी लाल सिंह से पूछी है । यह साईवाल जिला लाहौर से 180 किलोमीटर की दूरी पर लाहौर व मुल्तान के बीच में पड़ता है ।

मेरे पड़दादा गुलाब सिंह के तीन पुत्र थे जो कि मेरे दादाजी हुए ।

1...शंकर सिंह  (भगत ) 

2...चम्पा सिंह अर्थात चम्बा सिंह 

3...सुबा सिंह 

 

पाकिस्तान से आने के बाद मेरे दादाजी व पड़दादा जी  पहले हरियाणा के रोहतक के पास चाँघ गाँव में रहे जहाँ पर मेरे पिताजी का जन्म हुआ था ।

मेरे पिताजी के जन्म के बाद जल्दी ही मेरी दादी जी का स्वर्ग वास हो गया था । मेरे पिताजी कुल चार भाई बहन थे । जो उन चारों को माँ का प्यार नहीं मिला था । 

बड़ी बहन अर्थात मेरी बुआ करतार कौर हैं जो खैरियत से आज  23.03.2022 को भी जीवित हैं अतः हमारे ही गाँव में रहती हैं । 

दूसरे नंबर पर मेरे ताऊ करतार सिंह जी हैं जो वाहेगुरु की मेहरबानी से आज 23.03.2022 को भी ठीक-ठाक हैं ।

तीसरे नंबर पर मेरे ताऊ जी अवतार सिंह जी थे जिनका कुवारें रहते युवावस्था में ही इन्तकाल हो गया था ।

और चौथे नंबर पर मेरे पिताजी  जगतार सिंह जी हैं जो आज 

23.03.2022 को एक बुजुर्ग व कमजोर व मानसिक रोगी की हालत में हैं जो हमारे मना करने पर भी तीन दिन पहले हरियाणा में रेवाड़ी के पास बावल में कसौला चौक पर किसी के साथ जय गुरुदेव आश्रम में घूमने व सेवा करने चले गये हैं । जिन्हे लाने के लिए कल मेरी माता जी जा रही हैं ।

माँ मर गई धी और बाप एक भगत आदमी धा इसलिए चारों बहिन भाईयों का जीवन भी दुख में और जगह जगह भटकते हुए गुजरा ।

अतः कोई भी बच्चा स्कूल की शक्ल नहीं देख सका ।


मेरे पड़दादा कुछ रिश्तेदारों के साथ राजस्थान के अलवर जिले के टपूकडा कस्बे से काफी दूर भलेसर गाँव में आकर बस गये थे ।

जहाँ पर राजस्थान सरकार द्वारा हमको पाकिस्तान से आये शरणार्थी मानते हुए कस्टोडियन की जमीन अलोट हुई थी ।


30.09.2022 की कलम 

भलेसर गाँव मुस्लिम बहुल अर्थात मेवात क्षेत्र था और